Thursday, October 10, 2013

बड़े मुक्कदस तरीके से,
उसने कहा,
कुछ दिन बात ना करना मुझसे,
जो सच ही चाहते हो उबरना मुझ से .
***
झील की तली में तपस्वी की तरह लेटते,
मैंने हामी में बच्चों सा सर हिलाया .
***
सतह पर तैरते सांस के गुबारों को छू,
उसने पत्थर पर लिखा मैंने कहा माना ,
***
फूटते बुलबुलों से पता चला उन्हें,
तैराक़ था,भर फेफड़े उतरा था तल तक
***
थकी सांस से थक गया,
थोड़ा और ,कुछ ज्यादा

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