Thursday, October 10, 2013

सच ! उस दिन कुछ भी विशेष नहीं होता .सामान्य गति से टेबल टैनिस की टप टप उछलती गेंद सा तुम्हारा दिल एक धडकन भूल जाता है .गेंद एक छुई जा सकने वाली चीज़ है .कितना अच्छा होता जो छू सकते हम धड़कन भी और कह पाते ...देखो खेल में यूँ रोद मारना ठीक नहीं .

सोचता हूँ ,क्या तब भी मैं अपना बल्ला ,अपनी गेंद लिए लौट आता .....गालों पर सूखे आंसुओं के निशान लिए ?

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