हरीतिमा की अंतिम हद तक हरी दूब,
सम्पूर्ण नीलिमा से भरे आकाश,
बादामी,भूरेपन से सपनों में महकती धरती,
तुम्हारे होने पर अब भी बचे हुए विश्वास के ईश्वर,
आभार तुम्हारा ...........अनास्था के इस समय में भी बचे रहने को,
(समर्थ का जीना जीना है .....................कितना पहले कहा था उन्होंने ......कितनी देर से समझा मैं )
सम्पूर्ण नीलिमा से भरे आकाश,
बादामी,भूरेपन से सपनों में महकती धरती,
तुम्हारे होने पर अब भी बचे हुए विश्वास के ईश्वर,
आभार तुम्हारा ...........अनास्था के इस समय में भी बचे रहने को,
(समर्थ का जीना जीना है .....................कितना पहले कहा था उन्होंने ......कितनी देर से समझा मैं )
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